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बजरंग बाण कब और क्यों और किसे करना चाहिए?

बजरंग बाण कब और क्यों और किसे करना चाहिए? जब मुश्किल में हों प्राण, बजरंग बाण का पाठ पूरी श्रद्धा से करें। जब आप भयंकर मुसीबत से घिरे हो परेशानियों से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा हो नौकरी में भयंकर मुश्किल हो, नौकरी छूट गई हो या छूटने वाली हो तंत्र मंत्र से किसी ने बाधा पहुंचाई हो संकट में कभी भी बजरंगबाण पढ़ सकते हैं , संकट से तुरंत मुक्ति दिलाता है बजरंगबाण अगर ऐसा है तो श्री हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली बजरंग बाण आपकी सहायता कर सकता है। कहा जाता है कि जहां बजरंग बाण का पाठ किया जाता है, वहां हनुमान जी स्वयं आ जाते हैं। बजरंग बाण क्यों है अचूक ? पवनपुत्र श्री हनुमान जी श्रीराम के भक्त हैं। आप श्रीराम का नाम लें और हनुमान जी आपकी मदद के लिए न आएं ऐसा हो ही नहीं सकता नहीं सकता, क्योंकि बजरंग बाण में हनुमान जी के आराध्य प्रभु श्रीराम की सौगंध दिलाई गई है। इसलिए जब आप श्रीराम के नाम की सौगंध उठाएंगे तो हनुमान जी आपकी रक्षा करने जरुर आएंगे। बजरंग बाण में श्रीराम की सौगंध इन पंक्तियों में दिलाई गई है- भूत प्रेत पिशाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर, इन्हें मारु, तोहिं ...

बजरंग बाण कब और क्यों और किसे करना चाहिए?

बजरंग बाण कब और क्यों और किसे करना चाहिए? जब मुश्किल में हों प्राण, बजरंग बाण का पाठ पूरी श्रद्धा से करें। जब आप भयंकर मुसीबत से घिरे हो परेशानियों से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा हो नौकरी में भयंकर मुश्किल हो, नौकरी छूट गई हो या छूटने वाली हो तंत्र मंत्र से किसी ने बाधा पहुंचाई हो संकट में कभी भी बजरंगबाण पढ़ सकते हैं , संकट से तुरंत मुक्ति दिलाता है बजरंगबाण अगर ऐसा है तो श्री हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली बजरंग बाण आपकी सहायता कर सकता है। कहा जाता है कि जहां बजरंग बाण का पाठ किया जाता है, वहां हनुमान जी स्वयं आ जाते हैं। बजरंग बाण क्यों है अचूक ? पवनपुत्र श्री हनुमान जी श्रीराम के भक्त हैं। आप श्रीराम का नाम लें और हनुमान जी आपकी मदद के लिए न आएं ऐसा हो ही नहीं सकता नहीं सकता, क्योंकि बजरंग बाण में हनुमान जी के आराध्य प्रभु श्रीराम की सौगंध दिलाई गई है। इसलिए जब आप श्रीराम के नाम की सौगंध उठाएंगे तो हनुमान जी आपकी रक्षा करने जरुर आएंगे। बजरंग बाण में श्रीराम की सौगंध इन पंक्तियों में दिलाई गई है- भूत प्रेत पिशाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर, इन्हें मारु, तोहिं ...

भगवान श्रीकृष्ण की एक अद्भुत कथा

 एक अद्भुत कथा  एक बार की बात है। बहुत दूर से ब्राह्मण संत एकनाथ महाराज का घर ढूँढ़ता हुआ आया था। जब वह नाथ के द्वार पर आया, तो उसकी सारी ओस गायब हो गई। उसके मन में एक अधीरता थी, एक जुनून था। घर में प्रवेश करने के बाद जैसे ही नाथ पर नजर पड़ी तो ब्राह्मण ने उनके पैर पकड़ लिए। उन्होंने हाथ जोड़कर नाथ से कहा, नाथबाबा, मुझे भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कराओ। एकनाथ महाराज को कुछ समझ नहीं आया। आप कौन हैं? मैं तुम्हें और उसे भी नहीं जानता, मैं कहाँ रहता हूँ? ये भी नहीं पता। तभी गिरिजादेवी (नाथ की पत्नी) वहाँ आ गयीं। वे भी सुन चुकी थीं कि वह ब्राह्मण नाथों से क्या कह रहा था। नाथ ने उसे उठाकर अपने पास रख लिया। लेकिन वह ब्राह्मण बार-बार एक ही वाक्य कह रहा था। नाथबाबा, मुझे भगवान कृष्ण के दर्शन कराओ। ब्राह्मण की निगाहें घर का कोना-कोना तलाश रही थीं। नाथ ने उन्हें मंच पर बैठाया। उन्होंने अपने हाथों से उनके पैर धोये। तब तक गिरिजादेवी मीठा जल ले आईं। यह देखकर उस ब्राह्मण का हृदय भर आया। वह झट से बैठ गया और नाथ के पैर पकड़कर उससे बोला, नाथ बाबा, मुझे 15 दिन पहले एक दर्शन हुआ था। भगव...